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Tuesday, July 16, 2019

ग्वार के उत्पादों के निर्यात पिछले चार सालों 57.78 % की वृद्धि l

एपेडा द्वार जारी आंकड़ों के अनुसार ग्वार का निर्यात पिछले चार सालों से लगातार बढ़ रहा है l वर्ष 2015-16 में ग्वार के उत्पादों का निर्यात 3,25,249 MT था जो की वर्ष 2018-19 तक 57.78 % बढ़ कर के 5,13,210 MT हो गया l ग्वार गम का निर्यात वर्ष 2015-16 में 2,56,676 MT था जो कि वर्ष 2018-19 तक 41.38 % बढ़ कर के 3,62,900 MT हो गया l ग्वार कोरमा का निर्यात वर्ष 2015-16 में 68,573 MT था जो कि वर्ष में 2018-19 तक 119.19% बढ़ कर के 1,50,310 MT हो गया l ग्वार गम स्प्लिट का निर्यात वर्ष 2015-16 में 45,667 MT था जो कि वर्ष 2018-19 तक 85.75% बढ़ कर के 84,828 MT हो गया l 

ग्वार उत्पादन क्षेत्रों में बारिश बहुत ही कमजोर है l जमीन में नमी सुखने के कारण बरानी क्षेत्र की ग्वार की फसल बर्बाद हो रही है l गर्म व शुष्क हवाएं जमीन को जल्दी जल्दी सुखा रही है l चुरू, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर तथा बाडमेर में अभी तक बीजाई लायक बर्ष नही हुई है l बारिश पहले से जारी किये अनुमान से भी ज्यादा लेट व कमजोर हो रही है l अगर अगले सप्ताह में बारिश होती भी है तो किसान पहले बाजारा व खरीफ की दालों की खेती को प्रथमिकता देगा उसके बाद किसान ग्वार की खेती करेंगे l इस बात के पक्के संकेत मिल रहे है की ग्वार की खेती पिछले वर्ष की तुलना में घटेगी l राजस्थान सरकार द्वार जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार ग्वार की बीजाई 6,27,900 हेक्टेयर क्षेत्र में पूरी होगई है जो की बीजाई के लक्ष्य का 21% है l 


ग्वार के उत्पादों का निर्यात बढ़ना पूरे ग्वार उद्योग के लिए एक अच्छा संकेत है ग्वार की मुख्य मांग तेल व प्राकृत गैस उद्योग से आती है l लेकिन अब ग्वार की मांग खाद्य व अन्य उद्योगों से भी बढ़ रही है l भारतीय ग्वार गम की कम्पनीयां आगे बढ़ कर, यूरोप व अन्य पश्चिमी देशों में पहले से उपस्थित किसी अंतराष्ट्रीय ग्वार व्यापार कंपनी की सहायता के बिना अपना व्यापार करना शुरू कर दिया है l जैसे ही ग्वार के व्यापार की निर्भरता यूरोप व अन्य पश्चिमी देशों के बड़े व्यापारिक खिलाड़ियों के हाथ से बाहर आ जायेगी तो भारतीय ग्वार गम उद्योग स्वतंत्र रूप से अपने पैरों पर खड़ा हो जायेगा l 

भारतीय ग्वार कंपनी के साथ काम करने वाले ग्वार उद्योग के विदेशी खिलाडी, भारतीय साझेदारों की भूमिका को केवल ग्वार की खरीददारी, ग्वारगम का प्रोडक्शन व उसके निर्यात तक ही सिमित रखती है l भारतीय ग्वार उद्योग का बड़ा मुनाफा ये बड़े अंतराष्ट्रीय खिलाडी खा जाते है l ये बड़े अंतराष्ट्रीय खिलाडी भारत मने NGO के नाम पर सामजिक विकास के प्रोजेक्ट चलाते है ताकि भारतीय साझेदारों की खरीददारी, प्रोडक्शन व निर्यात सम्बन्धी गतिविधियों पर नजर रख सके l इस तरह के CSR प्रोजेक्ट को चलाने का मुख्य उदेश्य उत्पादन, भाव, मौषम व प्रोडक्शन के जमीन स्तर के आंकड़े इकठ्ठा करना होता है l 

किसान व व्यापारी अपने पास रखे स्टॉक को अभी रोक सकते हैl अगर बाज़ार की सभी प्रस्थितियां सहायक रहती है तो अगले २-३ सप्ताह में ग्वार के भाव तेज़ी से ऊपर की तरफ जा सकते है l वर्तमान में जारी ग्वार के भाव स्तर, अच्छे उत्पादन की स्थिति में भी इस वर्ष के ग्वार के भावों का निचला स्तर बना रहेगा l किसी भी तरह की हरे चारे की कमीं की परिस्थिति में ग्वार चुरी कोरमा की मांग बढ़ जाएगी l ग्वार चुरी कोरमा ग्वार की कीमतों को गिराने से रोकने वाला या निचे के स्तर पर स्थिरता देने वाले प्रमुख ग्वार उत्पाद के रूप में उभरा हैl आने वाले वर्षों में पशु आहार उद्द्योग ग्वार की मांग को उत्पन करने वाले प्रमुख उद्योग के रूप में उभरेगा 

इस सप्ताह NCDEX पर ग्वार के भाव 19 जुलाई के सौदे के लिए 4343रूपए प्रति क्विंटल, BSE पर 31th जुलाई अप्रेल के सौदे के लिए ग्वार के भाव 4318 रूपए प्रति क्विंटल, NCDEX पर स्पॉट के भाव 4420 रूपए प्रति क्विटल l इसी तरह NCDEX पर ग्वार गम के भाव 19th जुलाई के सौदे के लिए 8880 रूपए प्रति क्विंटल, BSE पर 31th जुलाई अप्रेल के सौदे के लिए ग्वार गम के भाव 9025 रूपए प्रति क्विंटल तथा NCDEX पर ग्वार गम के स्पॉट के भाव 8993 रूपए प्रति क्विटल के आस पास चल रहे है l स्थानीय मंडियों में ग्वार के भाव 4400 रूपए प्रति क्विटल व ग्वार गम के भाव 9000 रूपए प्रति क्विंटल के आस पास चल रहे है

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